Saturday, May 4, 2024

दादा दादी

 

ऐसे तो हर रोज़, उपवन में हैं जाते

बच्चे, बड़े और बूढ़े, सभी हैं आते

शोर कुछ ज़्यादा था आज

हवा की लहर चल रही थी आज

फिर भी दिल को छू लिया

एक नई बात ने आज

ज़ील झूला झूल रही थी

अंबर को जैसे छू रही थी

बैंच पर बैठे बैठे मैं

माँ से फोन पर बात कर रही थी

तभी सामने क्या देखा

बालक नन्हा गोद में

बिठाया उसे झूले में

मिट्टी पर बैठ पाँव पसारे

दादी उसे झूला रही थीं

सामने से बालक की

किलकारी गूंज रही थी

और पास में खड़े उसके दादा

दोनो को मुस्काते देख रहे


मेरी आँखें वहीं टीकी रही

माँ से नज़ारे का वर्णन करती रही

कुछ देर के लिए हम

खो गए उस पल में

जब तू ऋषि, खेलता था

दादा दादी की गोद में

ज़ील ने भी कहा मुझे, 

माँ, शाम को जब नहीं होती थी आप

दादी ले जातीं मुझे,उपवन में अपने साथ

भुवन, वैभवी, वैष्णवी, 

आयशा, इरा, निहित और 

सबसे छोटा प्यारा अद्वैत

बच्चों, तुमने भी बिताया होगा

ऐसा सुंदर समय

दादा दादी से कहानियाँ सुनना

बगीचे में उनके साथ टहलना

भूख लगी तो "दादी खाना दो"

बाहर जाओ तो "दादू चॉकलेट दिला दो"


बचपन की यह बातें कर के

ज़ील और मैं घर के लिए निकल चले

मन में एक बात आई

जो ज़ील के स्कूल ने है बताई

इस गर्मी की छुट्टियों में

भूल ना जाना यह बात

दादा दादी के साथ 

समय बिताना ज़रूर ! 

ज्ञान की बातें, धर्म की बातें, 

कहानियाँ और मज़ेदार किस्से

सुनना ज़रूर ! 

क्योंकी.... 

दादा दादी का प्यार 

है सबसे कीमती उपहार!!